न जाने लोग आजकल कैसे रिश्ते निभाते हैं ?
दूसरोंकी की बाते समझने का प्रयास करते हैं,
लेकिन अपनोको नासमझ समझते हैं।
न जाने लोग आजकल कैसे रिश्ते निभाते हैं ?
दूसरोंकी बड़ी से बड़ी गलती को माफ कर देते हैं,
लेकिन अपनोंकी छोटी गलती को भी जिंदगीभर पकड़के बैठते हैं।
न जाने आजकल लोग कैसे रिश्ते निभाते हैं ?
दूसरोसे हुआ झगड़ा जल्द से सुलझा लेते हैं,
लेकिन अपनोंसे ता-उम्र जंग जारी रखते हैं।
न जाने लोग आजकल कैसे कैसे रिश्ते निभाते हैं ?
दूसरोंकी खुशियोंमे बिन बुलाए भी शरीक हो जाते हैं,
लेकिन अपनोंकि खुशी में बुलाने पर भी जाने से इतराते है।
न जाने लोग आजकल कैसे रिश्ते निभाते हैं ?
जिंदगी आसान नहीं दोस्तो,
पराए कब साथ छोड़ दे समझ न पाओगे।
खून के रिश्ते आखिर खून के रिश्ते होते हैं,
थोडासा संभाल लो तो, जिंदगी भर साथ निभाएंगे ।
जिंदगी भर साथ निभाएंगे।
