सुख-दुख हर जीवन के मौसम है,
जो आते जाते रहते है।
कभी कभी सुख-दुख अकेले ही आते है, पर कभी मिलके, दरवाजा खटखटाते हैं।
चाहे हम कितनी ही कोशिश क्यों न कर ले,
सुख-दुख तो आते ही रहेंगे।
डरेंगे जितना ज्यादा हम दुख से, उतना ही, वो हमे डराएगा।
बुलाएंगे जितना सुख को,
उतना ही, वो अकड़ दिखायेगा।
फिर क्यों न इन्हे एक समान मान,
जो आया, उसे मुस्कुराते हुए अपनाए।
आओ दोस्तो,
सुख में भी,
और दुख में भी,
खुशियां मनाएं, खुशियां मनाएं।।।
